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Aparajita Woman and Child Bill: बंगाल में दुष्कर्म की सजा होगी मौत! विधानसभा में ममता सरकार ने पेश किया बिल

Aparajita Woman and Child Bill

Aparajita Woman and Child Bill: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने मंगलवार (3 सितंबर) को पश्चिम बंगाल विधानसभा में महिला सुरक्षा पर एक बिल पेश किया. इसके जरिए दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है. टीएमसी सरकार ने विधानसभा में ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ पेश किया है. इस बिल के तहत बलात्कार पीड़िता की मौत होने की सूरत में दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है. मौजूदा कानूनों में बदलाव के बाद इस बिल को पेश किया गया है.

दरअसल, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल एंड हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर मामले को लेकर ममता सरकार बैकफुट पर है. कोलकाता केस के बाद ममता बनर्जी ने ऐलान किया था कि वह दुष्कर्म को लेकर कानून बनाएंगी. इसे लेकर उन्होंने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का भी ऐलान किया था. ममता ने कहा था कि वह भी चाहती हैं कि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिले. बीजेपी ने विधानसभा में पेश हुए इस बिल को लेकर अपनी सहमति व्यक्त की है.

अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक की बड़ी बातें क्या हैं? 

पश्चिम बंगाल विधानसभा में पेश हुए अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक बिल की तीन प्रमुख बाते हैं, जो दुष्कर्म के दोषियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान कर रही हैं.

  • किसी महिला का दुष्कर्म करने के बाद अगर उसकी हत्या कर दी जाती है तो ऐसा करने वाले दोषी को मृत्युदंड दिया जाएगा.
  • किसी महिला के साथ दुष्कर्म किया गया तो इस अपराध को अंजाम देने वाले दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
  • किसी नाबालिग के साथ दुष्कर्म होता है तो उसके आपराधिक दोषी को 20 साल की कैद और मौत की सजा दोनों का प्रावधान है.

इस बिल की ये तीन बड़ी बातें हैं, जिसे केंद्र सरकार के कानून में संशोधन के बाद पेश किया गया है. केंद्र सरकार का दुष्कर्म को लेकर जो कानून है, उसमें पूरी तरह से बदलाव नहीं किया जाएगा. मगर इस नए कानून के जरिए 21 दिनों में न्याय सुनिश्चित होगा. अगर 21 दिनों में फैसला नहीं आ पाता है तो पुलिस अधीक्षक की इजाजत से 15 दिन और मिल जाएंगे. यह समवर्ती सूची में है और हर राज्य को संशोधन करने का अधिकार है.

कानून बनाने के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा बिल

विधानसभा से बिल पास होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जिनके हस्ताक्षर के बाद ये कानून का रूप लेगा. इस बात की उम्मीद है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस को बिल को साइन करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. राज्य का कानून राज्यपाल की मंजूरी से ही बनता है. अगर राज्यपाल की राय इस बिल को कानून में तब्दील करने को लेकर नहीं बन पाती है तो वह इसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं. हालांकि, राज्यपाल से मंजूरी लेना ही इसे राज्य में कानून बनाने के लिए पर्याप्त है.

दुष्कर्म पर नया कानून लाए केंद्र सरकार: अभिषेक बनर्जी

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने मांग की है कि पश्चिम बंगाल सरकार की तर्ज पर केंद्र सरकार भी दुष्कर्म पर कड़ा कानून बनाए और उसे अगले सत्र में पेश किया जाए. उन्होंने कहा, “हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म होने के भयावह आंकड़े को देखते हुए, एक व्यापक दुष्कर्म विरोधी कानून की मांग पहले से कहीं ज्यादा उठ रही है. बंगाल अपने दुष्कर्म विरोधी विधेयक के मामले में सबसे आगे है. सरकार को अब निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए, चाहे अध्यादेश द्वारा या आगामी संसद सत्र में बीएनएसएस संशोधन द्वारा यह सुनिश्चित होना चाहिए कि न्याय जल्दी मिले और सजा गंभीर हो. आरोपी का ट्रायल और दोषसिद्धि 50 दिनों में समाप्त होनी चाहिए.”

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