सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को दी मान्यता, इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी मदरसा एक्ट की संवैधानिकता को बरकरार रखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। इससे योगी सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। कोर्ट के फैसले के अनुसार, यूपी मदरसा बोर्ड का गठन और उसकी गतिविधियां संविधान के अनुरूप हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय बेंच ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी छात्र को धार्मिक शिक्षा के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को अपने फैसले में यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए सभी छात्रों को सामान्य स्कूलों में दाखिला करवाने का आदेश दिया था।
योगी सरकार की दलीलें नहीं मानी गईं
योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस एक्ट के खिलाफ तर्क दिए थे और इसे संविधान के मौलिक ढांचे के खिलाफ बताया था। सरकार का कहना था कि मदरसा एक्ट के तहत धार्मिक शिक्षा देना संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के अनुरूप नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए मदरसा एक्ट को मान्यता प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों है महत्वपूर्ण?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यूपी मदरसा बोर्ड के तहत मदरसों में दी जा रही शिक्षा की वैधता को समर्थन देता है और राज्य सरकार को यह संदेश देता है कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संविधान में संरक्षित है।